रविवार, जुलाई 21, 2013

अनुपम बलिदान...



कोई पत्थर को पूजता है,
किसी के लिये  पत्थर भी है   इनसान...
किसी की नजर में घर है मंदिर,
किसी की नजर में केवल मकान...

पन्ना मां ने अपना सुत,
देकर बचाया राज वंश,
देकर दान में कवज कुंडल,
गवाने पड़े कर्ण को प्राण...

एकलव्य ने देकर दक्षिणा,
श्रेष्ठ कतार में खड़े हुए,
दधिचि ने मानवता के लिये,
 निज  अस्थियों का किया दान...

सत्यवादी एक राजा,
सत्य की खातिर दास बने,
गुरु गोविंद ने धर्म के लिये,
चार पुत्र  किये कुर्वान...

भर लो नैनों में नीर,
स्मर्ण शहीदों का हो आया,
नमन है उनकी देश भगति को,
अनुपम है उनका बलिदान...

6 टिप्‍पणियां:

  1. बलिदानी दानी दिखे, लिखे नाम इतिहास |
    करे हास-परिहास जग, पर वे सत्य प्रकाश |
    पर वे सत्य प्रकाश, पुत्र चारो न्यौछावर |
    जय जय पन्ना धाय, कौन माँ तुझसे बेहतर |
    हरिश्चन्द्र का सत्य, हजारों सत्य कहानी |
    परम्परा आदर्श, नमन सादर बलिदानी-

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  2. वाकई अनुपम है उनका बलिदान...

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  3. सच वीरों का बलिदान अमर है ... तभी तो वो आज भी यद् किये जाते हैं ...
    ओज़स्वी रचना ...

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  4. अपनें मस्तक भारत माता के चरणों में बो गए,
    आजादी की आस लिए दूर गगन में कहीं खो गए ,


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  5. बेनामी2:09 pm

    अच्छी रचना है

    जवाब देंहटाएं

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