सोमवार, दिसंबर 01, 2014

दुर्भाग्य उस पुष्प का।

फूल टूटने  के बाद भी
लगते हैं सुंदर
कहीं माला में
कहीं मंदिर में
कभी अर्थी पर
कभी विवाह में।

तोड़ने से पहले
नहीं पूछते इनसे
क्या ये चाहते  हैं  अलग होना
अपनी उस  डाली से।
जिसने दिया है
इन्हे  ये सौंदर्य।

एक सुंदर   फूल
जिसे गुमान था
 अपने सौंदर्य पर
चाहता था स्पर्श पाना
रति सी किसी    सुंदरी का
ताकि मिलन हो
सौंदर्य से सौंदर्य का।

दुर्भाग्य उस पुष्प का
उस दिन प्रातः  ही
तोड़कर ले गये उसे
एक भ्रष्ट  नेता की
अर्थी पर चढ़ाने के लिये।
उसकी चाह और  ख्वाब,
वो सौंदर्य भी
उस अर्थी के साथ
राख हो गये मिनटों में।

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