गुरुवार, अक्तूबर 15, 2015

पुष्प और कवि....

मैं पुष्प हूं
भावनाओं से युक्त
मुझे माली नहीं
कवि प्रीय है...
कवि  मुझे
कभी नहीं तोड़ता
न वो केवल
सौंदर्य ही देखता है...
वो  अक्सर
आता है
पूछता है मुझसे
मेरे मन की बात...
दिखावा तो
करते हैं सब
प्रेम हम से भी
करता है कवि ही...
मुझे माली ने
लगाया भी
और पाला भी
पर स्वार्थ के लिये...
कौन कहता है
मैं नशवर हूं
मेरा मिटना तो
परोपकार का संदेश है...

1 टिप्पणी:

  1. मेरा मिटना तो
    परोपकार का संदेश है...
    बहुत सुन्दर
    मिटना तो है सबको एक दिन लेकिन जीवन में सार्थकता हो तो समझो अच्छे से जिए हम अपना जीवन। ।

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